15/07/2013 मासिक आधार पर कार्य रिपोर्ट देने के लिए कहा गया
चंडीगढ़, 15 जुलाई - हरियाणा में पूर्व गर्भाधान एवं पूर्व प्रसव निदान तकनीक अधिनियम (पीसी एंड पीएनडीटी एक्ट) की उल्लंघना की सूचना अब टोल फ्री नम्बर 102 पर दी जा सकती है।
इसके साथ-साथ अधिनियम के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए सिविल सर्जन उत्तरदायी होंगे, जिन्हें मासिक आधार पर कार्य रिपोर्ट देने के लिए कहा गया है। इस संबंध में जानकारी देते हुए स्वास्थ्य विभाग के एक प्रवक्ता ने बताया कि अधिनियम के अंतर्गत गतिविधियों की समीक्षा में पाया गया कि अप्रैल, 2013 से जून, 2013 की तिमाही के दौरान अधिनियम के अंतर्गत मशीन जब्त या सील करने, लाइसेंस रद्द या निलंबित करने तथा न्यायिक मामले दर्ज करने संबंधी गतिविधियां अप्रभावी रही तथा जिला उपयुक्त प्राधिकारी के रूप में अधिनियम के प्रभावी क्रियान्वयन की जिम्मेदारी सिविल सर्जनों पर है, जिसके लिए सिविल सर्जनों को प्रभावी कदम उठाने के लिए कहा गया है। उन्होंने बताया कि ऐसे जिले जहां पर लिंगानुपात की स्थिति खराब है, में अधिनियम के क्रियान्वयन में पाये गये अंतराल पर विभाग ने कड़ा संज्ञान लिया है तथा ऐसे जिलों विशेषतः नारनौल तथा रेवाड़ी, जहां लिंगानुपात 800 से भी कम है, सोनीपत तथा झज्जर, जहां लिंगानुपात 800 से 830 के बीच है तथा पानीपत एवं रोहतक, जहां लिंगानुपात 830 से 850 के बीच है, में अधिनियम के प्रभावी क्रियान्वयन को लेकर बल देने के लिए कहा गया है। विभाग द्वारा जारी किये गये दिशा-निर्देशों में कहा गया है कि अधिनियम के अंतर्गत कार्रवाई में पिछड़ रहे जिलों में प्रशिक्षिण टीमों द्वारा नियमित जांच की जाये। जिला उपयुक्त प्राधिकारी द्वारा मासिक रिपोर्ट तथा जांच के दौरान फार्म-एफ का नियमित रूप से मेडिकल ऑडिट किया जाये जोकि अधिनियम के अंतर्गत उल्लंघना का पता लगाने का एक प्रभावी उपकरण है और फार्म-एफ को भरने में कमी या त्रुटि पाये जाने पर कार्रवाई की जाये। उल्लंघना होने पर अधिनियम के अंतर्गत जब्त या सील करने, पंजीकरण रद्द या निलंबित करने तथा ऐसे व्यक्ति या केन्द्र के खिलाफ न्यायिक मामला दर्ज करने की कार्रवाई अमल में लाई जाये क्योंकि अधिनियम के अंतर्गत बडे़ या छोटे अपराध को लेकर किसी प्रकार का वर्गीकरण नहीं है तथा सभी अपराध दंडनीय है। निर्देशों में कहा गया है कि अधिनियम के अंतर्गत जिला सलाहकार समिति की बैठकें 60 दिनों में कम से कम एक बार अवश्य हो तथा अधिनियम के अंतर्गत कार्रवाई की समीक्षा तथा मॉनिटरिंग के लिए जिला टॉस्क फोर्स की बैठकें मासिक आधार पर होनी चाहिए ताकि कम लिंगानुपात वाले क्षेत्रों तथा खण्डों को ध्यान में रखते हुए रणनीति निर्धारित की जा सके। टोल फ्री नम्बर या किसी अन्य प्रकार से प्राप्त होने वाली शिकायतों में प्रलोभन देकर फंसाने वाली टीमों को साथ लेकर महीने में एक या दो बार छापेमारी की जाये। हालांकि निम्न लिंगानुपात वाले जिलों में इस तरह की छापेमारी अब तक नहीं हुई है। निर्देशों में कहा गया है कि अल्ट्रासाउंड सोनोग्राफी मशीन एवं इमेजिन सेंटरों के अयोग्य तथा अपंजीकृत संचालकों, लिंग पहचान का रैकेट चलाने वालों या किसी अन्य प्रकार से अधिनियम की उल्लंघना करने वालों की सूचना देने के लिए टोल फ्री नम्बर 102 का व्यापक प्रचार किया जाये। इसके अलावा, निम्न लिंगानुपात वाले क्षेत्रों में विभिन्न सहयोगियों के साथ मिलकर जागरूकता अभियान चलाये जाये तथा सभी निजी एवं सरकारी चिकित्सकों तथा अन्य सहयोगियों के लिए कार्यशालाओं का आयोजन कर अधिनियम के प्रावधानों से अवगत करवाया जाये।
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