राव ने यह विचार शुक्रवार शाम डॉ. मुखर्जी स्मृति न्यास जम्मू के सेमिनार में व्यक्त किए। भारतीय राष्ट्रवाद विषय पर सेमिनार में भाजपा नेता ने कहा कि देश में राज्य का विलय संपूर्ण है और राज्यवासी देश के साथ हैं। धारा 370 को समाप्त करने पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि यह सोच गलत है कि इससे राज्य को अलग पहचान मिलती है। इसके बिना भी देश के अन्य राज्यों ने अपनी पहचान बरकरार रखी है।
राव ने कहा कि इतिहास गवाह है कि धर्म कभी भी राष्ट्रवाद का आधार नहीं हो सकता है। धर्म के आधार पर बना पाकिस्तान देश के रूप में खत्म हो रहा है। पाकिस्तान की बात करने वाली राजनीतिक पार्टियों को यह समझना चाहिए।
कश्मीर को लेकर कांग्रेस की नीतियों को आड़े हाथ लेते हुए उन्होंने कहा कि अगर नेहरू कश्मीर के मसले को संयुक्तराष्ट्र में न ले जाते तो आज गुलाम कश्मीर नहीं होता। अलगाववाद को धर्मनिरपेक्षता के लिए खतरा करार देते हुए उन्होंने कहा कि इसके लिए कोई स्थान नहीं है। राव ने कहा कि मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला धार्मिक आकांक्षाओं को उकसाने की राजनीति न करते हुए अपने दादा शेख अब्द़ुल्ला से सीख लें, जो देश से राज्य की एकता में विश्वास रखते थे। गुज्जर बक्करवालों से भेदभाव का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि राज्य सरकार लोगों को धर्म के आधार पर नजरअंदाज न करे। इससे पूर्व प्रदेश अध्यक्ष जुगल किशोर ने लोगों को बांटने वाली राजनीति को राष्ट्रवाद के लिए खतरा करार देते हुए कहा कि जम्मू-कश्मीर में सरकार आतंकवादियों को सम्मान व देश के लिए शहीद होने वालों का तिरस्कार कर रही है। यह नीति अलगाववाद की भावना को शह दे रही है। सेमिनार में डॉ. मुखर्जी स्मृति न्यास के अध्यक्ष विधायक अशोक खजूरिया, भाजपा के वरिष्ठ नेता निर्मल सिंह, शमशेर सिंह मन्हास व सुखनंदन चौधरी मौजूद थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता एडवोकेट शेख शकील अहमद ने की