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11/07/2013 दालों पर इम्पोर्ट ड्यूटी लगाने के मामले को पी एम ओ स्वयं देखे -कैट
केंद्र सरकार के खाद्य मंत्रालय द्वारा दालों पर इम्पोर्ट ड्यूटी लगाने के प्रस्ताव को यदि अमल में लाया गया तो निश्चित रूप से देश में दालों के कीमतों में बेहद वृद्धि होगी क्योंकि दालों और एडिबल आयल की देश में खपत पैदावार से कहीं अधिक है -यह कहते हुए कॉन्फ़ेडरेशन ऑफ़ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने सुझाव दिया है की इस मामले को प्रधानमंत्री कार्यालय को स्वयं देखना चाहिए ! यह सर्विदित तथ्य है की देश के सभी प्रान्तों और भागों में दालों का उपयोग भरपूर होता है और भारतियों के लिए प्रोटीन का सबसे उपयुक्त खाद्यान्न दालें ही हैं लिहाजा दालों की कीमतों को कम रखना बेहद जरूरी है! यदि दालों पर आयत शुल्क लगा दिया तो आयात काफी कम होगा और दालों की कीमतों में लगभग 20 प्रतिशत तक की वृद्धि होने की सम्भावना है ! देश में बेहद आम आदमी किस तरह प्रोटीन की भरपाई करेगा, यह एक बड़ा सवाल है ! देश में दालों की कीमत को कम और स्थिर रखने के लिए दालों का आयत मजबूरी है लेकिन इस के साथ ही सरकार को देश में दालों के उत्पादन में वृद्धि करने के उपायों पर भी सोचना चाहिए जिस से देश में होने वाली खपत को हम देसी उत्पादन से ही पूरा कर सकें !
कैट ने यह भी कहा की सरकार ने देश से दालों के निर्यात पर पाबंदी लगा रखी है इस से बड़ी मात्रा में विदेशी मुद्रा और रोजगार का नुक्सान हो रहा है ! सरकार को चाहिए की वो एक ऐसा तंत्र विकसित करे जिसमें दालों को आयात कर उन्हें प्रोसेस करते हुए देसी दाल के रूप में परिवर्तित की जाए और एक उसके निर्यात को बढावा दिया जाए ! इस से जहाँ विदेशी मुद्रा की कमाई होगी वहीँ लोगों को रोजगार भी मिलेगा ! कैट ने यह भी कहा की वर्तमान में भारतीय अर्थव्यवस्था बेहद विषम परिस्थिति से गुजर रही है और महंगाई अपनी चरम सीमा पर है ! वित्त मंत्रालय और रिज़र्व बैंक द्वारा उठाये गए सभी कदम फेल हो गए हैं और देश में प्रशासनिक व्यवस्था बेहद निम्न स्तर पर है ! ऐसा दिखाई देता है की सरकार के विभिन्न मंत्रालयों में आपसी समन्वय की बेहद कमी है ! एक मंत्रालय द्वारा लिया गया फैसला अर्थव्यवस्था पर क्या प्रभाव डालेगा इसकी चिंता किसी को भी नहीं है ! इन हालातों में कैट ने कहा है की प्रधानमंत्री कार्यालय को इस ओर देखना चाहिए ओर अर्थव्यवस्था कैसे पटरी पर वापिस आये इसके लिए आवश्यक ठोस कदम अविलम्ब उठाये जाने चाहियें !
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