06/06/2013 क्रिकेटरों के रिश्तेदार अब नहीं कर पाएंगे 'खेल'?
नई दिल्ली।। इंडियन स्टार किक्रेटर्स के लिए छह डिजिट में बिजनस डील करने वाले एजेंट्स को बड़ा झटका लगने जा रहा है। इंडिया में क्रिकेट को कंट्रोल करने वाले बोर्ड ने ऐसे एजेंट्स के लिए एक्रिडिशन को अनिवार्य करने का प्लान बनाया है।
बीसीसीआई के एक टॉप ऑफिशल ने नाम जाहिर नहीं करने की शर्त पर कहा, 'खुद को एजेंट के रूप में पेश कर प्लेयर्स के लिए एनडोर्समेंट डील लाने का वादा करने वाले कई लोगों और अन-ऑर्गेनाइज्ड फर्मों को अपनी दुकान बंद करनी पड़ेगी, क्योंकि बीसीसीआई एजेंट्स के लिए नियम लागू करने जा रहा है।' उन्होंने कहा कि खिलाड़ियों और बोर्ड ऑफिशल्स के कई रिश्तेदार एजेंट्स के रूप में काम करते हैं, लेकिन वे खुद को परदे के पीछे रखते हैं। नियम बनने से ऐसे लोगों को कामकाज बंद करना पड़ेगा।
इंडियन क्रिकेट टीम के कैप्टन महेंद्र सिंह धोनी की एक स्पोर्ट्स मैनेजमेंट फर्म में 15 फीसदी हिस्सेदारी है। इस फर्म के ओनर उनके बचपन के एक दोस्त हैं। यह कंपनी न सिर्फ धोनी के 21 करोड़ डॉलर की एनडोर्समेंट डील मैनेज करती है, बल्कि तीन अन्य क्रिकेटर्स को भी प्रमोट करती हैं और आईपीएल की चेन्नै सुपर किंग्स टीम की भी मार्केटिंग करती हैं। इसके चलते हितों का टकराव पैदा होता है, क्योंकि इंडियन और सीएसके टीम के कैप्टन होने के नाते धोनी के पास टीम सिलेक्शन को प्रभावित करने की पावर है।सिलेब्रिटीज का एडहॉक मैनेजमेंट खासकर उन मामलों में देखा जाता है, जहां फर्म दोस्त या फैमिली द्वारा चलाई जाती है, जिसका कोई बिजनस ट्रैक रिकॉर्ड नहीं होता। 2008 में ओलिंपिक गोल्ड-मेडलिस्ट शूटर अभिनव बिंद्रा तब विवाद में फंस गए थे, जब उन्हें रिप्रजेंट करने को लेकर दो एजेंसियों में झगड़ा हो गया था। इसमें से एक पक्ष उनकी फैमिली का हिस्सा था और दूसरा प्रफेशनल एजेंसी कॉलेज स्पोर्ट्स मैनेजमेंट थी। कॉलेज स्पोर्ट्स मैनेजमेंट ने गोल्ड मेडल जीतने से पहले बिंद्रा के एंडोर्समेंट को रिप्रजेंट किया था। यह मामला कोर्ट में पहुंचा था।
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