06/06/2013 कैबिनेट ने रियल एस्टेट बिल पर लगाई मुहर
नई दिल्ली।। केंद्रीय कैबिनेट ने मंगलवार को रियल एस्टेट सेक्टर के लिए रेग्युलेटर बनाने के बिल को मंजूरी दे दी। इसमें कहा गया है कि अगर बिल्डर प्रॉजेक्ट के बारे में गलत विज्ञापन देता है, तो उसे जेल भी जाना पड़ सकता है।
रियल एस्टेट (रेग्युलेशन ऐंड डिवेलपमेंट) बिल के जरिए सरकार की कोशिश पूरे सेक्टर के लिए कॉमन रेग्युलेटरी सिस्टम बनाना है। बिल में कहा गया है कि बिल्डर अथॉरिटीज से सभी अप्रूवल लेने के बाद ही प्रॉजेक्ट लॉन्च कर सकता है।
बिल के मुताबिक, रियल एस्टेट प्रॉजेक्ट्स के लिए सभी क्लीयरेंस को रेग्युलेटर के पास जमा कराना होगा। इसके साथ ही, कंस्ट्रक्शन शुरू करने से पहले इसकी जानकारी वेबसाइट पर देनी होगी।
बिल में गलत विज्ञापन देने वाले बिल्डर्स को कड़ी सजा देने के प्रावधान हैं। पहली बार इस तरह की गलती होने पर प्रॉजेक्ट कॉस्ट की 10 फीसदी तक पेनल्टी लगाई जा सकती है। अगर बिल्डर बार-बार यह गलती करता है, तो उसे जेल भी जाना पड़ सकता है। हाउसिंग मिनिस्टर अजय माकन इस बिल को लगातार कैबिनेट से पास कराने की कोशिश कर रहे थे। 2 अप्रैल को भी कैबिनेट में बिल पेश हुआ था, लेकिन उस दिन मतभेद के चलते इसे मंजूरी नहीं मिल पाई थी। बिल में यह भी कहा गया है कि डिवेलपर को हर प्रॉजेक्ट के लिए अलग बैंक अकाउंट रखना होगा। इससे एक प्रॉजेक्ट के लिए हासिल पैसे का इस्तेमाल दूसरी जगह नहीं हो पाएगा।
बिल में कार्पेट एरिया की डेफिनेशन दी गई है। इससे बिल्डर्स के लिए सुपर एरिया के आधार पर अपार्टमेंट बेचना मुश्किल हो जाएगा। प्रस्तावित कानून के तहत बिल्डर जब तक सभी क्लीयरेंस हासिल नहीं करते, वे प्रॉपर्टी नहीं बेच पाएंगे। वहीं, जब तक वे कंस्ट्रक्शन के लिए सभी जरूरी अप्रूवल हासिल नहीं कर लेते, तब तक वे बायर्स से पैसा नहीं ले पाएंगे।
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