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23/05/2013   नई दिल्ली:प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने नई दिल्‍ली में जनता के लिए रिपोर्ट जारी करने के अवसर पर जो संबोधन दिया, वह निम्‍नलिखित है:-
यह जनता के लिए रिपोर्ट जो हम कुछ ही क्षणों में जारी करने जा रहे हैं, आगामी आम चुनावों से पहले की आखिरी रिपोर्ट है। अगले वर्ष हम सीधे देश की जनता को रिपोर्ट देंगे और नया जनादेश मांगेगे। यह उपयुक्‍त ही होगा कि इस साल हम दीर्घावधि रवैया अपनाएं और अपनी जनता को रिपोर्ट दें कि पिछले नौ वर्षों में हमने क्‍या हासिल किया। इसके पहले कि मैं आगे बढ़ूं, मैं आभार जाहिर करना चाहूंगा यूपीए की चेयरपर्सन श्रीमती सोनिया गांधी जी का जिनके प्रेरणादायक नेतृत्‍व में ये उपलब्धियां संभव हो सकी है।

इस रिपोर्ट में सरकारी कार्यक्रमों की विस्‍तृत समीक्षा निहित है और मैं आप सबसे और खासतौर से मीडिया से आग्रह करता हूं, कि आप इसे पूरा पढ़ें। सबसे पहले मैं चार प्रमुख उपलब्धियों का उल्‍लेख करूंगा। पहला, अर्थव्यवस्था का बेहतर निष्‍पादन, दूसरा विकास प्रक्रिया को अधिक समावेशी बनाना, तीसरा, बेहतर सुशासन प्रदान करना और कल्‍याण और विकास कार्यक्रमों के बेहतर परिणाम, तथा चौथा, चुनौती भरी और बदल रही दुनिया के साथ बेहतर संबंध। मित्रो, हम सचमुच ही दावा कर सकते हैं और ऐसा करते हुए हमें नाज है, कि यूपीए सरकार ने हमारे देश को पिछले नौ वर्षों में चार नये मोर्चों पर आगे बढ़ाया है। हम एक लंबा सफर तय कर चुके हैं, लेकिन हमें अभी और मीलों चलना है। आइये, शुरूआत करें विकास के साथ। हमारे युवा वर्ग को विस्‍तृत अवसर मिल सके और सर्वसमावेशी कार्यक्रमों से आय भी हो, इसके लिए जरूरी है तेज प्रगति। यह सही है कि वर्ष 2012-13 के दौरान वृद्धि दर धीमी हुई और पाँच प्रतिशत पर आ गई, लेकिन ऐसा पूरी दुनिया में हुआ। यूरोजोन के सकल घरेलू उत्‍पाद में सचमुच ही गिरावट आई। अमरीका और जापान में इसका विकास धीमा पडा। चीन में इसकी रफ्तार धीमी हुई और अन्‍य विकासशील देशों में भी ऐसा ही हुआ। 

पिछले साल हमारी अर्थव्‍यवस्‍था की प्रगति मंद हुई, लेकिन यह एक अस्‍थाई बात थी। अगर हम दीर्घावधि दृष्टिकोण अपनाएं, तो हम देखेंगे कि भारत दुनिया के सबसे तेजी से विकसित होने वाली विकसित अर्थव्‍यवस्‍था वाले देशों में से एक था और उसकी विकास दर धीमी विकास दर वाले वर्षों सहित, पिछले नौ वर्षों के दौरान औसतन आठ प्रतिशत रही। राजग सरकार के 6 वर्ष के शासनकाल के दौरान यह औसत वृद्धि दर सिर्फ 5.7 प्रतिशत रही थी। 

अर्थव्‍यवस्‍था में सुस्‍ती बाहरी कारकों की वजह से रही जिन पर हमारा कोई कंट्रोल नहीं होता। यह सच बात है कि घरेलू समस्‍याएं भी उठीं। इन पर ध्‍यान दिया जा रहा है। अनेक बड़ी निवेश योजनाएं इसलिए रुक गईं कि उनके लिए विभिन्‍न नियामक अनुमति नहीं मिली। इस समस्‍या पर ध्‍यान देने के लिए निवेश पर एक मंत्रिमंडलीय समिति गठित की गई है और इसके अच्‍छे नतीजे मिल रहे है। 

आर्थिक स्थिति बदल रही है। मुद्रास्‍फीति नियंत्रण में आ रही है। राजकोषीय घाटे पर कंट्रोल किया जा रहा है। चालू खाते का मौजूदा घाटा ज्‍यादा है लेकिन हम इसे धीरे-धीरे कम करेंगे। हमें पूरा भरोसा है कि वर्ष 2013-14 के दौरान विकास दर 2012-13 से बेहतर रहेगी और यह बढ़कर 6 प्रतिशत से ज्‍यादा हो सकती है। इससे 12वीं योजना के दौरान आठ प्रतिशत विकास दर 5 वर्षों तक प्राप्त करने का जो लक्ष्‍य रखा गया है, उसे प्राप्‍त करने में सहायता मिलेगी। मैं मानता हूं कि यह बात मुश्किल जान पड़ती है लेकिन यह असंभव नहीं है। हमने पहले भी ऐसा किया है और अगर हमें अगले साल जनादेश मिलता है, तो हम निश्‍चय ही एक बार फिर ऐसा कर दिखायेंगे।  आइये, अब समावेशी पक्ष पर ध्‍यान दें जो बहुत महत्‍वपूर्ण है। अनेक लोग जो यह मानने को तैयार हैं, यह मानेंगे कि विकास के मोर्चे पर हमने अच्‍छा काम किया है। वह हमारे सर्वसमावेशी निष्‍पादन पर भी सवाल नहीं खड़ा करेंगे। यह बहुत महत्‍वपूर्ण बात है क्योंकि हमने हमेशा इस बात को घोषित लक्ष्‍य बनाया है कि विकास से गरीबों का समावेशी होना चाहिए और इसका लाभ खासतौर से ग्रामीण क्षेत्रों के गरीबों को मिले। मेरा विश्‍वास है कि यूपीए सरकार का इस सिलसिले में अच्‍छा रिकार्ड रहा है। 

ग्रामीण क्षेत्रों में समृद्धि के लिए कृषि विकास बहुत महत्‍वपूर्ण है क्‍योंकि गांवों में ही अधिकांश गरीब रहते है। 11वीं योजना अवधि में हमने कृषि क्षेत्र में 3.7 प्रतिशत प्रतिवर्ष की वृद्धि दर प्राप्‍त की जबकि 10वीं योजना के दौरान यह मात्र 2.4 प्रतिशत थी। 12वीं योजना अवधि में हमने 4 प्रतिशत का लक्ष्‍य तय किया है और मुझे पूरा भरोसा है कि हम ऐसा कर सकते है और हम ऐसा कर दिखायेंगे। हमारा प्रयास है कि देश में अनाज का उत्‍पादन बढ़ाया जाए और इसके लिए हम काम भी कर रहे है। साथ ही, हम कृषि क्षेत्र में विविधीकरण भी कर रहे हैं। यह ऐसा बुनियादी काम है जिसे ध्‍यान में रखते हुए हमने संसद में खाद्य सुरक्षा विधेयक पेश किया है। तेज कृषि विकास, और साथ ही महात्‍मा गांधी राष्‍ट्रीय रोजगार गांरटी अधिनियम जैसे कार्यक्रम चलाकर हमने ग्रामीण मूल सुविधाओं में विस्‍तार करने की कोशिश की है जिससे ग्रामीण श्रमिकों की वास्‍तविक मजदूरी बढ़ी है। कृषि मजदूरी 6.8 प्रतिशत प्रतिवर्ष वास्‍‍तविक अर्थों में 2004 से बढ़ी है, जो 1994 और 2004 के बीच प्राप्‍त वृद्धि दर से 6 गुना बेहतर है। गांवों में आर्थिक खुशहाली की हमारी नीतियों के असर इस बात से स्‍पष्‍ट हैं कि 2004 के बाद सच्‍चे अर्थों में हमारी प्रति व्‍यक्ति खपत 3.4 प्रतिशत बढ़ी। यह इससे पहले वाली अवधि के दौरान देखी गई 0.85 प्रतिशत की वृद्धि दर से 4 गुना तेज है। 
गरीबी रेखा से नीचे रहने वाली आबादी का प्रतिशत काफी तेजी से घटा है और वर्ष 2004 से इसमें काफी कमी आई है। मैं अनेक लोगों को जानता हूं जो सरकारी गरीबी की रेखा को बहुत कम मानते है। इसे संशोधित करने के लिए एक विशेषज्ञ समूह बना दिया गया है। लेकिन यह निष्‍कर्ष कि गरीबी रेखा से नीचे रहने वालों का प्रतिशत तेजी से गिरा है, तभी लागू होगा जब गरीबी रेखा के मापदंड बढ़ा दिये जायेगे। शर्त यह होगी कि आधार अवधि के दौरान भी वही मूल लाइन लागू रहे। 

विकास का असर उन राज्‍यों पर भी पड़ा जिन्‍हें पहले पिछड़े राज्य कहा जाता था। 11वीं योजना अवधि में ये पिछड़े राज्‍य अन्‍य के मुकाबले तेजी से विकसित हुए। समावेशी विकास सिर्फ आय और खपत नहीं है। इसमें यह बात भी जोड़ी जानी चाहिए कि स्‍वास्‍थ्‍य शिक्षा और कौशल विकास जैसी जरूरी सेवाओं तक लोगों की पहुंच कितनी है। क्‍योंकि ये बातें समाज के कमजोर वर्गों के रहन-सहन के स्‍तर को सीधे सीधे प्रभावित करती हैं और उन्‍हें विकास प्रक्रिया में पूरी तरह शामिल होने के योग्‍य बनाती है। रिपोर्ट में सर्वशिक्षा अभियान, मिड डे मील योजना, आईसीडीएस, राष्‍ट्रीय ग्रामीण स्‍वास्‍थ्‍य मिशन, जननी सुरक्षा योजना, राष्‍ट्रीय स्‍वास्‍थ्‍य बीमा योजना, कौशल विकास मिशन और अन्‍य कार्यक्रमों के माध्‍यम से इन क्षेत्रों में यूपीए के प्रयासों का विस्‍तृत विवरण दिया गया है। मुझे यह कहते हुए खुशी हो रही है कि इन सभी क्षेत्रों में प्रगति हुई है। प्राथमिक स्‍कूलों में नामांकन लगभग शत-प्रतिशत पहुंचने के कगार पर है। साक्षरता में सुधार हुआ है। स्‍वास्‍थ्‍य संस्‍थाओं में बच्‍चों को जन्‍म देने वाली महिलाओं का प्रतिशत बढ़ा है। पोलियो का खात्‍मा हो चुका है। 
ये उपलब्धियां महत्‍वपूर्ण है। बेशक सार्वजनिक बहस में आमतौर पर ज्‍यादा ध्‍यान उपलब्धियों पर नहीं,जो कुछ किया जाना है, उस पर होता है। जहां लोगों की पहुंच हुई है, वहां गुणवत्‍ता अभी भी एक मुद्दा है और इन मुदृों के संतोषजनक हल के लिए हमें कड़े प्रयास करने होंगे। मैं केवल इतना ही कहूंगा कि इन सभी क्षेत्रों में, जब हमने शुरूआत की, गिलास पूरा खाली था। उसे भरने में अभी कुछ समय लगेगा। महत्‍वपूर्ण बात है‍ कि गिलास भरा जा रहा है। मैं इस बात पर बल देना चाहूंगा कि इन क्षेत्रों में सफलता राज्‍यों पर निर्भर करती है। मैं यह भी जोड़ना चाहूंगा कि राज्‍यों के अनुभव अलग-अलग है और कुछ राज्‍य ऐसे है जहां बहुत अच्‍छी प्रगति हो रही है। अब मैं तीसरे क्षेत्र, जिसका मैंने उल्‍लेख किया है, गवर्नेंस और कार्यक्रमों की पहुंच की चर्चा करना चाहूंगा। यह बहुत व्‍यापक क्षेत्र है। इसमें विशेषकर महिलाओं सहित सभी नागरिकों की संरक्षा और सुरक्षा सुनिश्चित करना शामिल है। इसमें यह आश्‍वासन शामिल है कि निर्धारित मानकों की सार्वजनिक सेवांए प्रदान की जाएंगी और निवारण की मांग तभी की जाएगी जब ऐसा नहीं हो पाए। इसमें विलंब और उत्‍पीड़न से आजादी शामिल है जिससे रिश्‍वत और भ्रष्‍टाचार बढाता है, इससे अंतत मुक्ति हासिल करनी है। इसमें सरकार की वसूली और आवंटन के निर्णयों में भ्रष्‍टाचार का समापन शामिल है। 

गवर्नेंस की इन कमजोरियों से सरकार से लोगों का विश्‍वास कम होता है और हम ऐसा परिणाम बर्दाश्‍त नहीं कर सकते। समस्‍याएं नई नहीं है, न भारत के लिए विशिष्‍ट है। वास्‍तव में इन समस्‍याओं के प्रति लोगों की सजगता और उनके हल की मांग पूरे विश्‍व में बढ़ी है। लोकतंत्रों में ऐसा खास तौर पर है। हम विश्‍व के सबसे बड़े लोकतंत्र है जहां प्रेस पूरी तरह स्‍वतंत्र और सक्रिय सिविल सोसाइटी आंदोलन है। ये हमारी ताकतें हैं। लेकिन ये इन सभी क्षेत्रों पर जल्‍द और निर्णायक कार्यवाही का दबाव भी बढ़ाती है। इससे कभी-कभी असहिष्णुता बढ़ती है और जल्‍दी में फैसले लिए जाते है। गवर्नेंस की समस्‍या पर केन्‍द्र और राज्‍यों को ध्‍यान देना होगा। यूपीए सरकार ने कई ऐसे कदम उठाए हैं, जि‍ससे गवर्नेंस और जवाबदेही में सुधार हुआ है। सूचना का अधि‍कार अधि‍नि‍यम लोगों के सशक्‍ति‍करण का महत्‍वपूर्ण माध्‍यम है। लोगों को इससे जानकारि‍यां मि‍लती है, जो खामि‍यों को उजागर करती है और व्‍यवस्‍था पर सुधारात्‍मक कदम उठाने का दबाव बढ़ाती हैं। हमने लोकपाल विधेयक पेश कि‍या है, जो भ्रष्‍टाचार के आरोपों की जांच के लि‍ए एक स्‍वतंत्र संस्‍थान की भारी मांग को पूरी करता है। हमने सरकार प्रापण वि‍धेयक पेश कि‍या है, जो सरकार की वसूलि‍यों और अनुबंधों की प्रक्रि‍या को अधि‍क पारदर्शी बनाएगी, जि‍ससे भ्रष्‍टाचार के अवसर समाप्‍त हो जाएंगे। हमने बहुत पुराने और अंग्रेजों के जमाने के अनुचित‍ कानून के स्‍थान पर भूमि‍ अधि‍ग्रहण और पुनर्वास वि‍धेयक पेश कि‍या है जो पारि‍त होने के बाद उनके लि‍ए बहुत लाभकारी होगा, जि‍नकी जमीन का अधि‍ग्रहण कि‍या जाएगा। स्‍पेक्‍ट्रम और कोयला खान ब्‍लॉकों के आवंटनों के बारे में जानबूझ कर गड़बड़ी करने के आरोप लगाए गए हैं। हमने भवि‍ष्‍य के लि‍ए बहुत ही पारदर्शी व्‍यवस्‍था लागू की है, यथा प्रशासनि‍क आबंटन की बजाय नीलामी की जाएगी। पि‍छले आबंटनों की समस्‍याओं से नि‍पटा जा रहा है और कानून के अनुसार कार्रवाई होगी। अनौचि‍त्‍यतता के आरोपों की जांच हो रही है और गलत करने वालों को सजा मि‍लेगी। लेकि‍न हम इस बात का श्रेय ले सकते हैं कि‍ समस्‍या की जड़ आबंटन में पारदर्शि‍ता का न होना था और उसका हल नि‍काल लि‍या गया है और भवि‍ष्‍य में ये समस्‍याएं नहीं आएंगी। 

हमारे जैसे बड़े देश में गवर्नेंस की गुणवत्‍ता में सुधार एक बड़ी चुनौती है। केन्‍द्र और राज्‍यों दोनों को इस समस्‍या को हल करना होगा। यूपीए सरकार ने इस क्षेत्र में कि‍सी सरकार से ज्‍यादा काम कि‍या है। अंत में मैं चौथे क्षेत्र वि‍श्‍व से अपने संबंधों पर आता हूं। दो दशक से भी पहले मैंने संसद में कहा था कि‍ वि‍श्‍व में आर्थि‍क शक्‍ति‍ के रूप में भारत के उभरने के वि‍चार का समय आ गया है। हमने पि‍छले नौ वर्षों से उस वि‍चार का पूर्ण स्‍वरूप देखा है कि‍ भारत ने वि‍श्‍व में सबसे तेजी से बढ़ते लोकतंत्र के रूप में अंतर्राष्‍ट्रीय समुदाय के साथ कि‍स तरह संपर्क कायम कि‍या है। 

हमारी सुधरती अर्थव्यवस्था तथा भारतीयों की प्रति‍भाओं ने वि‍कसि‍त एवं वि‍कासशील देशों के साथ संबंध नि‍र्माण में हमें सक्षम बनाया है। हमने अमरीका, रूस तथा यूरोप के साथ अपने संबंधों को प्रगाढ़ बनाया है। असैन्‍य परमाणु समझौते पर अमरीका के साथ जो हमने पहल की है उसकी वजह से भारतीय प्रौद्योगि‍की वि‍कास में एक नए अध्‍याय की शुरूआत हुई है। 
हमारी सरकार ने एशि‍याई समुदाय के नि‍र्माण प्रक्रि‍या में सक्रि‍य भागीदारी नि‍भाने में अग्रणी भूमि‍का अदा की है। आज लगभग प्रत्‍येक प्रमुख एशि‍याई तथा एशि‍या-प्रशान्‍त मंचों पर भारत का गर्मजोशी से स्‍वागत हो रहा है। भारत ने हि‍न्‍द महासागर तथा भारतीय प्रशान्‍त क्षेत्र में अपने आर्थि‍क एवं सुरक्षा संबंधों को बढ़ाया है। हमने अपने आर्थि‍क एवं रक्षा संबंधों को पश्‍चि‍मी एशि‍या तथा मध्‍य एशि‍या के साथ-साथ पूर्वी एवं दक्षि‍ण-पूर्व एशि‍याई देशों के साथ मजबूत कि‍या है। 

अपने नि‍कटतम पड़ोसी देशों के साथ द्विपक्षीय संबंधों से जुड़े कुछ बहुत ही कठि‍न चुनौति‍यों को हल करने में हम सफल हुए हैं। समरूप क्षेत्रों में कार्य करते हुए चीन के साथ हमारे संबंध कठि‍न मुद्दों को हल करने में हमारी योग्‍यता का दर्शाते हैं। मैं यह कुछ संतोष के साथ कह सकता हूं कि‍ हमने क्षेत्रीय सहयोग के लि‍ए दक्षि‍ण एशि‍याई संघ की मजबूत नींव रखी है। हमने हर जगह भारतीय उपमहाद्वीप में क्षेत्रीय आर्थि‍क सहयोग को बढ़ाया है। 
गत नौ वर्षों के इस अनुभव से हमारी युवा पीढ़ी को क्‍या संदेश पहुंचता है जो अभी अपने कार्यशील जीवन में प्रवेश कर रहे हैं और जि‍न्‍हें बहुत उम्‍मीदें हैं ? 
मुख्‍य संदेश यह है कि‍ यूपीए सरकार आर्थि‍क रूप से उभरते एवं सामाजि‍क रूप से न्‍यायोचि‍त भारत के सपने को साकार करने के लि‍ए काम कर रही है। भारत, जहां हर नागरि‍क एक सुरक्षापूर्ण एव&


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