रेलवे अधिकारियों का कहना है कि पुराने शौचालयों से मल व कचरा इत्यादि का विसर्जन रेलवे स्टेशन से 30 किमी दूर किया जाता था। इससे रेलवे स्टेशन तो साफ रहता था,लेकिन रेलवे ट्रेक गंदा हो जाता था। बायो-टॉयलेट पूर्ण रूप से आधुनिक तकनीक से निर्मित होंगे और पर्यावरण के अनुकूल होंगे। नए शौचालय लगाने का काम अगले तीन माह में पूरा कर लिया जाएगा।
एससीआर रेलवे के एक अधिकारी के अनुसार बायो-टॉयलेट का निर्माण रेलवे रिसर्च डिजाइन एंड स्टेंडर्ड ऑर्गनाइजेशन (आरडीएसओ) और डिफेंस रिसर्च डवलपमेंट एस्टबलिशमेंट (डीआरडीई) के संयुक्त तत्वाधान में कराया जाएगा। इस साल जनवरी में एससीआर रेलवे ने दो गाडियों काचीगुड्डा-बेंगलूरू एक्सप्रेस और हुसैनीसागर हैदराबाद-मुंबई एक्सप्रेस में 48 नए शौचालय लगाए हैं।
इनकी कार्य प्रणाली से संतुष्ट होते हुए अधिकारियों ने निर्णय किया है कि पाावती एक्सप्रेस, अजंता एक्सप्रेस और हुसैनसागर एक्सप्रेस में 200 नए बायो-टॉयलेट लगाए जाएं। रेलवे अधिकारियों का कहना है कि पुराने शौचालयों से मल व कचरा इत्यादि का विसर्जन रेलवे स्टेशन से 30 किमी दूर किया जाता था। इससे रेलवे स्टेशन तो साफ रहता था,लेकिन रेलवे ट्रेक गंदा हो जाता था।
इस समस्या से निबटने के लिए हमने दो गाडियों में नए बायो-टॉयलेट लगाए। नए टॉयलेट पुराने शौचालयों की तुलना में अधिक कारगर सिद्ध हुए हैं। इसलिए अब गाडियों में नए बायो-टॉयलेट लगाने क ा निर्णय किया गया है। बायो-टॉयलेटों से मल इत्यादि का विर्सजन करना आसान रहेगा। इससे संक्रमण फैलने का खतरा भी कम है। इसीलिए दक्षिण-मध्य रेलवे 200 नए बायो-टॉयलेट गाडियों में लगाने जा रही है। यह कार्य आने वाले तीन माह के दौरान पूरा कर लिया जाएगा।