सरकार ने स्वीकार किया कि देश भर में भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के गोदामों में 11,708 टन खाद्यान्न या तो खराब है या फिर जारी करने योग्य नहीं है. ऐसे खाद्यान्न का मूल्य 6.86 करोड़ रुपये है.
कृषि राज्य मंत्री प्रोफेसर के. वी. थॉमस ने राज्यसभा को बताया कि एफसीआई की सूचना के मुताबिक, गत एक जुलाई की स्थिति के अनुसार निगम के गोदामों में गेहूं, चावल और धान सहित 11,708 टन खाद्यान्न या तो खराब है या फिर जारी करने योग्य नहीं है. ऐसे खाद्यान्न का मूल्य 6.86 करोड़ रुपये है.
वहीं, पंजाब और हरियाणा की राज्य एजेंसियों के पास क्रमश: 54,260 टन और।,574 टन गेहूं जारी करने योग्य नहीं है. थॉमस ने रामदास अग्रवाल के सवाल के लिखित जवाब में इस बात से इनकार किया कि एफसीआई के गोदामों में भंडारण की कथित खराब स्थिति या कम भंडार क्षमता के कारण 30 लाख टन खाद्यान्न खराब हो गया है.
बहरहाल, हालिया बारिश के कारण एफसीआई के गोदामों में गेहूं और चावल की कुछ मात्रा खराब हुई है. थॉमस ने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने 27 जुलाई और 12 अगस्त के अपने आदेश में भारत सरकार को सुझाव दिया कि वह पात्र आबादी को बहुत कम कीमत या मुफ्त में खाद्यान्न वितरित करने सहित कुछ अल्पकालिक उपायों पर विचार करे.
उन्होंने नाजनीन फारूख और अनिल कुमार साहनी के सवाल के लिखित जवाब में बताया कि वर्ष 2009-10 में 10,420 टन क्षमता वाले एफसीआई गोदामों के निर्माण का लक्ष्य रखा गया था. इसमें से 9,170 टन की क्षमता युक्त गोदामों का निर्माण कर लिया गया.
कृषि राज्य मंत्री ने मैबल रिबैलो के सवाल के लिखित जवाब में उच्च सदन को पिछले वर्ष के आंकड़े देते हुए बताया कि एफसीआई के गोदामों में वर्ष 2009-10 में पंजाब में 2,273 टन, उत्तर प्रदेश में 14 टन और मध्य प्रदेश में 49 टन खाद्यान्न खराब था या जारी करने योग्य नहीं था.
उन्होंने कहा कि इस मामले में कर्तव्य निवर्हन में लापरवाही के आरोपी 28 अधिकारियों के खिलाफ वर्ष 2009-10 में कार्रवाई की गयी.