27/08/2010 कार कंपनियों के बीच माइलेज की रेस
नई दिल्ली ।। कार कंपनियां इस साल अक्टूबर से यह बताएंगी कि उनकी गाड़ी प्रतिद्वंद्वी कंपनी के उसी वर्ग के मॉडल की तुलना में कितना माइलेज देगी। कार कंपनियां ग्राहकों को यह जानकारी देंगी कि प्रति लीटर ईंधन में उनका मॉडल कितने किलोमीटर चलेगा।
नई दिल्ली ।। कार कंपनियां इस साल अक्टूबर से यह बताएंगी कि उनकी गाड़ी प्रतिद्वंद्वी कंपनी के उसी वर्ग के मॉडल की तुलना में कितना माइलेज देगी। कार कंपनियां ग्राहकों को यह जानकारी देंगी कि प्रति लीटर ईंधन में उनका मॉडल कितने किलोमीटर चलेगा। वाहन कंपनियों के संगठन (सियाम) ने यह जानकारी देते हुए कहा कि उसके सदस्यों ने अक्टूबर से फ्यूल एफिशंसी रेटिंग का खुलासा करने की सहमति दी है। सियाम के चेयरमैन पवन गोयनका ने एजीएम के मौके पर कहा, 'हमने ने वाहनों के लिए स्वैच्छिक फ्यूल एफिशंसी रेटिंग लेबलिंग योजना की घोषणा की थी। यह लेबर एक अक्टूबर से लागू हो रहा है। इससे ग्राहकों को विभिन्न वर्ग के वाहनों के तुलनात्मक माइलेज की जानकारी मिल सकेगी।' वाहन कंपनियों ने पिछले साल अपने वाहनों के माइलेज की जानकारी स्वैच्छिक रूप से देने की शुरुआत की थी। वहीं सरकार इस प्रक्रिया को अनिवार्य करने की तैयारी कर रही है। गोयनका ने कहा कि इससे ग्राहकों को अपनी जरूरत के हिसाब से वाहन का चुनाव करने में मदद मिलेगी और इससे ईंधन की खपत भी कम हो सकेगी। उन्होंने कहा कि, 'शुरू में इंडस्ट्री ईंधन दक्षता स्तर के खुलासे को अनिवार्य करने में हिचकिचा रही था, पर अब वह इसके लिए तैयार है। हम सरकार को औपचारिक रूप से इस अनिवार्य जरूरत को अपनाने के लिए आमंत्रित करते हैं।' सरकार ने कहा है कि वाहन कंपनियों के लिए अनिवार्य फ्यूल एफिशंसी मानक ऊर्जा मंत्रालय द्वारा ऊर्जा संरक्षण कानून के तहत लागू किया जाएगा।
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