दिल्ली के मुख्य बस अड्डे आईएसबीटी के अहाते में नाव चल रही है। नाव पर भजन-कीर्तन हो रहा है। यमुना को मनाने की कोशिश की जा रही है। हे यमुना और विकराल रूप ना धारण करो, दिल्ली को तबाही में मत डुबोओ
मेनोस्ट्री
मोनैस्ट्री मार्केट के नाम से मशहूर दिल्ली का तिब्बती बाजार इस वक्त पानी बाजार जैसा लग रहा है।
मालूम हो कि बुधवार दोपहर को ही यमुना का जलस्तर 205.91 मीटर तक जा पहुंचा ये खतरे के निशान से करीब 1 मीटर ज्यादा है। जबकि बारिश और हथनीकुंड से लगातार पानी छोड़े जाने के चलते पल पल बाढ़ का पानी बढ़ता जा रहा है। जिसकी वजह से यमुना के किनारे रहने वाले मुसीबत में हैं। जहांगीरपुरी, सोनिया विहार, बुराड़ी, वजीराबाद, आईएसबीटी, पुराना पुल, राजघाट और आईटीओ के निचले इलाकों में पानी भर गया है। दिल्ली के जगतपुर और इब्राहिमपुर में पानी भर चुका है। लेकिन राजधानी के कई इलाके ऐसे हैं जो बारिश के पानी में जल समाधि ले रहे हैं।
यमुना बाजार
यमुना नहीं बल्कि बारिश के पानी ने इस इलाके का जीना मुहाल कर रखा है। अगर बाढ़ का पानी यहां चढ़ आया तो यमुना बाजार पानी बाजार में बदल जाएगा।
रिंग रोड
पूरी दिल्ली को आपस में जोड़ने वाली रिंग रोड पर बस के बजाय कुछ जगहों पर नावें चल रही है। ये हाल तब है जब यमुना का पानी दिल्ली को एक घेरे में बांधने वाली बेहद अहम सड़क रिंग रोड से चंद कदम की दूरी पर है।
यमुना पर बने पुराने पुल
जैसे-जैसे यमुना के तेवर सख्त हो रहे हैं वैसे वैसे प्रशासन की नींद टूटने लगी है।
यमुना पर बने पुराने पुल से भारी वाहनों की आवाजाही रोक दी गई है। इस पुल के ऊपर से गुजरने वाली ट्रेन की रफ्तार भी बेहद धीमी कर दी गई है।
राजघाट और सटे इलाके
बापू की समाधि राजघाट और उससे सटे इलाकों में भी पानी भर चुका है। लेकिन ये पानी बाढ़ का नहीं बल्कि बारिश का पानी है।
साफ है देश की राजधानी दिल्ली बाढ़ के किनारे बैठी है, खतरे की घंटियां लगातार बज रही हैँ। दिल्ली सरकार के फ्लड कंट्रोल डिपार्टमेन्ट समेत दूसरी एजेंसियों के करीब 7000 लोग बचाव कार्य में लग गए हैं। डर इस बात का है कि कहीं 1988 की लापरवाही न दोहरा दी जाए। लिहाजा ओखला बैराज से पानी लगातार आगरा-मथुरा के लिए छोड़ा जा रहा है।