21/08/2010 आतंकी हमले का सामना करने के लिए तैयार है दिल्ली पुलिस ?
सूचना के अधिकार के तहत एक टीवी चैनल को मिली जानकारी के अनुसार राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की पुलिस पिछले कई सालों से अनिवार्य फायरिंग अभ्यास में हिस्सा नहीं ले रही है। अब सवाल उठता है कि क्या दिल्ली पुलिस आपातकालीन परिस्थितियों में आतंकवादी हमले का सामना करने में सक्षम है। यह खुलासा ऐसे समय में हुआ है जब राष्ट्रमंडल खेलों को शुरू होने में सिर्फ एक महीना बचा है। राष्ट्रमंडल खेल 3 अक्टूबर से शुरू हो रहे हैं, और 14 अक्टूबर तक चलेंगे। इस जानकारी से एक और बड़ा खुलासा यह हुआ है कि 2008 में मुंबई पर हुए आतंकी हमले के बाद से फायरिंग अभ्यास के दौरान और अधिक पुलिसकर्मी नदारद रहे।
फायरिंग अभ्यास में अनुपस्थित रहने के मामले में पुलिस के आला अधिकारी भी पीछे नहीं हैं। साल 2009 में 240 सहायक पुलिस कमिश्नरों में से केवल 27 ने इस अभ्यास में भाग लिया, जबकि 40 अतिरिक्त उप कमिश्नरों में से केवल तीन ने अभ्यास किया। 50 उप कमिश्नरों में केवल सात ने अनिवार्य अभ्यास में भाग लिया। यह सिर्फ 2009 की ही बात नहीं है, पिछले पांच वर्षों से अभ्यास में भाग लेने का यह सिलसिला लगातार जारी है। 2007 और 2008 में भी स्थिति लगभग यही रही। 2007 में 240 एसीपी में से 111 ने और 2008 में 143 ने अभ्यास में भाग लिया। इससे बदतर स्थिति तो वरिष्ठ भारतीय पुलिस अधिकारियों की है। दिल्ली में तैनात आठ विशेष कमिश्नरों में से पिछले तीन बरसों में केवल एक ने फायरिंग अभ्यास में भाग लिया है। साल 2007 में 17 संयुक्त कमिश्नरों में से केवल पांच ने अभ्यास किया। साल 2008 में जब मुंबई पर लश्कर-ए-तैयबा के आतंकियों ने हमला किया, तो मुंबई पुलिस को उन पर काबू पाने के लिए तीन दिन लग गए। लेकिन इस जानकारी का खुलासा होने के बाद ऐसा लगता है कि मुंबई हमले से कोई सबक नहीं सीखा गया है। अब जबकि दिल्ली में राष्ट्रमंडल खेलों का आयोजन हो रहा है और हालात काफी खतरनाक हैं तो यह आशंका उठती है कि क्या दिल्ली पुलिस किसी तरह की अनहोनी का सामना करने में समक्ष है, और वह भी ऐसी परिस्थितियों में जबकि एक भी आला पुलिस अधिकारी ने अभ्यास सत्र में भाग नहीं लिया है। दिल्ली पुलिस के हर अधिकारी के लिए यह अनिवार्य है कि वह हर साल 9 एमएम पिस्टल या 0.38 रिवॉल्वर से कम से कम 30 राउंड फायरिंग करे।
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