26/11/2012 बेहतर बसें बनेंगी ब्लूलाइन का विकल्प
नई दिल्ली।। ब्लूलाइन बसों पर फुल स्टॉप लगाने के बाद अब दिल्ली सरकार ने ब्लूलाइन ऑपरेटरों के पुनर्वास के लिए नई स्कीम बनाई है। नए साल के शुरू में सरकार इसे लागू भी कर देगी। सरकार ने तय किया है कि ब्लूलाइन ऑपरेटरों की पुनर्वास स्कीम के तहत उन्हें ब्लूलाइन के विकल्प के रूप में राजधानी के बाहरी और ग्रामीण इलाकों में मीडियम साइज वाली बसें चलाने के लिए परमिट दिए जाएंगे। ये डबल डोर वाली सेमी लो फ्लोर बसें होंगी और इनके गेट डीटीसी की लो फ्लोर बसों और क्लस्टर बसों की तरह ही ऑटोमेटिक तरीके से ऑपरेट होंगे। यानी केवल ड्राइवर ही गेट खोल और बंद कर पाएगा।
सूत्रों के मुताबिक, इन बसों का लुक ब्लूलाइन बसांे के मुकाबले काफी अलग और अच्छा होगा। ये कम से कम 24 और अधिकतम 34 सीटों वाली होंगी। जीपीएस और स्पीड गवर्नर भी लगा होगा। ड्राइवर-कंडक्टर को वर्दी भी पहननी होगी। इन बसों में ई-टिकटिंग सिस्टम और मोर कार्ड के जरिए पेमेंट की सुविधा लागू करने पर भी विचार हो रहा है। जुलाई-2007 में ब्लूलाइन बसों को फेज आउट करने की घोषणा के बाद जिन ऑपरेटरों ने अपने परमिट जमा करवा दिए थे, केवल उन्हीं को नए परमिट मिलेंगे। एक ऑपरेटर को केवल एक परमिट मिलेगा। ट्रांसपोर्ट विभाग ने बाहरी और ग्रामीण दिल्ली के ऐसे 97 रूटों की पहचान की है, जिन पर पुनर्वास योजना के तहत करीब 1470 बसें चलाई जाएंगी। परिवहन मंत्री रमाकांत गोस्वामी का कहना है कि इन बसों के चलने से बाहरी दिल्ली और ग्रामीण इलाकों के लोगों को काफी फायदा होगा। हालांकि ब्लूलाइन ऑपरेटर्स नाराज हैं। उनकी मांग है कि उन्हें केवल बाहरी दिल्ली और ग्रामीण इलाकों तक सीमित ना रखा जाए, बल्कि दिल्ली के उन तमाम रूटों पर बसें चलाने की इजाजत दी जाए, जहां अभी तक क्लस्टर बसें नहीं चल पाई हैं और लोग बसों की कमी से जूझ रहे हैं। एसटीए ऑपरेटर्स एकता मंच के महासचिव श्यामलाल गोला के मुताबिक सरकार ने अभी तक न तो ऑपरेटरों को अपनी स्कीम के बारे में जानकारी दी है और न रूटों के चयन के मामले में ऑपरेटरों से सुझाव लिए हैं। सरकार वाकई हमारा पुनर्वास करना चाहती है, तो हमें ऐसे रूट देने चाहिए, जिन पर बसें चलाकर हम अपने परिवारों का भरण-पोषण कर सकें।
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