22/11/2012 कसाब को फांसी से अबू जिंदाल मायूस
नई दिल्ली।। अजमल कसाब को यरवदा जेल में फांसी दिए जाने से उसका हैंडलर अबू जिंदाल काफी मायूस दिखा। बुधवार को उसे अडिशनल सेशन जज कावेरी बावेजा की कोर्ट में तिहाड़ जेल से पेशी पर लाया गया था। उसके चेहरे पर मायूसी साफ दिखाई दे रही थी। उसने कोर्ट स्टाफ से कहा कि वह जज साहब से कुछ बात करना चाहता है, लेकिन स्टाफ ने उसे ऐसा करने से रोक दिया।
चीफ मेट्रोपॉलिटन मैजिस्ट्रेट (सीएमएम) विद्या प्रकाश की कोर्ट ने अबू जिंदाल के खिलाफ दायर की गई सप्लिमेंटरी चार्जशीट को भी सेशन कमिट कर दिया था। इसी केस में अबू जिंदाल की पेशी थी। सुरक्षा कर्मियों ने लंच से पहले ही अबू जिंदाल को कोर्ट में पेश कर दिया था। आरोपी कोर्ट में अपने वकील का इंतजार कर रहे थे, लेकिन उनका वकील कोर्ट में पेश नहीं हुआ। आरोपी के हावभाव से साफ पता चल रहा था कि वह कुछ परेशान है। उसने कोर्ट स्टाफ से कहा कि वह जज साहब से कुछ बात करना चाहते है, लेकिन कोर्ट स्टाफ ने उसे ऐसा करने से रोक दिया। आरोपी के वकील की गैर मौजूदगी में मामले की सुनवाई नहीं हो पाई। लिहाजा इस मामले में 13 दिसंबर 2012 की तारीख लगा दी गई। मामले की सुनवाई के दौरान अदालत को सीएमएम द्वारा भेजे गए लेटर के बारे मंे बताया गया। लेटर में अबू जिंदाल को मुंबई हमले की सुनवाई के संबंध में प्रॉडक्शन वारंट पर मुंबई भेजे जाने की इजाजत मांगी गई थी। अदालत ने आरोपी को 23 नवंबर 2012 को मुंबई कोर्ट में पेश होने की इजाजत दे दी। मुंबई हमले में अबू जिंदाल ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। 26/11 के मुंंबई हमले को अंजाम देने वाले कसाब सहित उसके 10 साथियों को उसने पाकिस्तान में लगाए गए कैंप में न केवल हिंदी भाषा सिखाई थी, बल्कि उन्हें मुंंबई की लोकल भाषा के बारे में भी जानकारी दी थी। चूंकि अबू जिंदाल महाराष्ट्र का ही रहने वाला है इसलिए उसे के बारे में काफी जानकारी थी। उसने यही जानकारी कसाब ओर उसके साथियों से साझा की थी। इतना ही नहीं हमले वाले दिन वह अपने अन्य आकाओं के साथ पाकिस्तान के करांची शहर में बैठकर हमले को लाइव देख रहा था। उसने सेटेलाइट फोन के जरिये उन्हें जरूरी निर्देश दिए थे। अबू जिंदाल को सऊदी अरब से इंडिया डिपोर्ट किए जाने के बाद स्पेशल सेल ने 21 जून 2012 को उसे आईजीआई एयरपोर्ट पर गिरफ्तार किया था।
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