22/11/2012 कसाब को 25 को फंदे पर लटकाने का प्लान था
मुंबई।। महिलाएं भी बातों को सीक्रेट रखना जानती हैं। अजमल कसाब के ऑपरेशन एक्स ने यह बात साबित कर दी है। कसाब को मुंबई से यरवडा जेल शिफ्ट करने और फांसी देने के टॉप सीक्रेट प्लान को अंजाम देने वाली दो महिला अधिकारियों ने साबित कर दिया है कि वे गोपनीय प्लान बनाने और उसे अंजाम देने में पुरुषों से बिल्कुल पीछे नहीं हैं। महाराष्ट्र सरकार की गृह विभाग की प्रधान सचिव (अपील, सुरक्षा, जेल) मेधा गाडगिल और अतिरिक्त डीजी (जेल) मीरा बोरवणकर पहले से आखिरी तक 'ऑपरेशन X' की सूत्रधार रहीं। मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण और गृह मंत्री आर. आर. पाटिल के मार्गदर्शन में मेधा और मीरा ने इसे अंजाम दिया।
जिस दिन राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी की ओर से कसाब को फांसी दिए जाने का लेटर राज्य सरकार को मिला, उसी दिन से मेधा ने चव्हाण और पाटिल की सहमति से फांसी देने की कानूनी प्रक्रिया शुरू कर दी थी। बेसिक प्लान 25 नवंबर को फांसी देने का था पर कसाब को आर्थर रोड से यरवडा शिफ्ट किए जाने की जानकारी मीडिया में लीक हो जाने के कारण फैसला बदला गया। सूत्रों ने बताया कि समूचा मीडिया और पुलिस फोर्स जब बाल ठाकरे की अंत्येष्टि में व्यस्त था तब कसाब को शिफ्ट करने का प्लान भी मेधा और मीरा ने बनाया। उसके बाद कसाब को एस्कॉर्ट करने के लिए मुंबई और पुणे पुलिस के उच्च अधिकारियों को और जेल आईजी को विश्वास में लिया गया। केंद्रीय गृह मंत्री को भी इस बारे में बताया गया, पर फांसी के फैसले के बारे में किसी को जानकारी नहीं थी। जल्लाद से लेकर कसाब का शव दफनाने की जगह तय करने और उससे संबंधित कानूनी प्रक्रिया पूरी करने का काम मीरा और मेधा ने किया। 26/11 हमले के दौरान मारे गए 9 आतंकवादियों को ढाई साल पहले इसी तरह गोपनीय तरीके से अज्ञात स्थल पर दफना दिया गया था। उस ऑपरेशन के समय चंद्रा अय्यंगर यानी एक महिला ही होम सेक्रेटरी थीं। उन्होंने बताया कि 9 आतंकवादियों को दफनाए जाने का सीक्रेट मुख्यमंत्री, गृह मंत्री के अलावा सिर्फ उन्हें, मेधा और राकेश मारिया को पता था। अय्यंगर ने कहा, 'इतने महत्वपूर्ण सीक्रेट ऑपरेशनों ने क्या यह साबित नहीं किया है कि गोपनीयता के मामले में औरतें पुरुषों से कई गुना बेहतर हैं।' ऑपरेशन X के बारे में जानकारी देने से मीरा और मेधा दोनों ने इनकार कर दिया।
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