साल 2009 में मलाला ने बीबीसी उर्दू के नाम एक गुमनाम डायरी लिखी थी जिसमें उन्होंने अपने इलाके की तमाम लड़कियों के स्कूल जाने पर लगी तालिबान की पाबंदी और दूसरे हालात का वर्णन किया था.
मलाला दिवस
संयुक्त राष्ट्र ने 10 नवंबर को मलाला दिवस के तौर पर मनाया है.
इसका कदम का मकसद दुनियाभर में 3.2 करोड़ ऐसी लड़कियों को स्कूल जाने में मदद मुहैया कराना है जो किसी वजह से स्कूल नहीं जा पाती हैं.
पाकिस्तान ने इस अवसर पर जिस कार्यक्रम की घोषणा की है, उसे वसीला-ए-तालीम नाम दिया गया है.
पाकिस्तान के राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी और वैश्विक शिक्षा के लिए संयुक्त राष्ट्र के विशेष दूत गॉर्डन ब्राउन ने राजधानी इस्लामाबाद में इसकी घोषणा की.
इस मौके पर गॉर्डन ब्राउन ने कहा, ''मलाला का ख्वाब पाकिस्तान की बेहतरी का प्रतिनिधित्व करता है.''
मलाला ने पाकिस्तान में लड़कियों की शिक्षा के लिए पुरजोर आवाज़ उठाई थी जो तालिबान को रास नहीं आई और इसी वजह से तालिबान ने उनके सिर में गोली मारी थी.
समाचार एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक, अगले चार वर्षों में देश के लाखों गरीब बच्चों का स्कूल में दाखिला कराना इस कार्यक्रम का मकसद है और प्राथमिक स्कूल जाने वाले ऐसे हर बच्चे के परिवार को हर महीने दो डॉलर नगद राशि दी जाएगी.
ये राशि सरकार के 'बेनजीर इनकम सपोर्ट प्रोग्राम' के तहत बांटी जाएगी जिसे जरूरतमंद परिवारों की छोटी-मोटी आर्थिक मदद के इरादे से बनाया गया था.
इसबीच दुनियाभर में लाखों लोगों ने उस 'ऑनलाइन-पेटीशन' पर दस्तखत किए हैं जिसमें मलाला यूसुफजई को शांति के लिए नोबेल पुरस्कार देने की मांग की गई है