09/11/2012 मोबाइल कॉल रेट्स होंगे महंगे
नई दिल्ली तय सीमा से ज्यादा स्पेक्ट्रम रखने वाली मोबाइल ऑपरेटर कंपनियों से एकमुश्त फीस लेने के प्रस्ताव को केंद्रीय कैबिनेट ने गुरुवार को मंजूरी दे दी। इस फैसले की वजह से कंपनियों को करीब 25 हजार करोड़ रुपये सरकार को देने होंगे। ऐसे में मोबाइल कंपनियों ने अभी से इस बात के संकेत दिए हैं कि वे कॉल रेट्स बढ़ा सकती हैं।
एम्पावर्ड गु्रप ऑफ मिनिस्टर्स (ईजीओएम) ने ये फीस लगाने का प्रस्ताव दिया था जिसे पीएम मनमोहन सिंह की अध्यक्षता वाली कैबिनेट ने गुरुवार को मंजूरी दी। वित्तमंत्री पी. चिदंबरम ने बताया कि 12 नवंबर से शुरू होने वाली स्पेक्ट्रम नीलामी में जो कीमत सामने आएगी, उस आधार पर एकमुश्त फीस जीएसएम कंपनियों से वसूली जाएगी। जिन जीएसएम कंपनियों के पास तयशुदा 4.4 मेगाहर्ट्ज से अधिक स्पेक्ट्रम हैं, उनसे नीलामी में तय मार्केट रेट के मुताबिक फीस ली जाएगी। खास बात यह है कि जिन जीएसएम कंपनियों के पास जुलाई 2008 से 6.2 मेगाहर्ट्ज से अधिक स्पेक्ट्रम हैं, उन्हें पिछली तारीख से फीस देनी होगी। इसके अलावा, जिन सीडीएमए सर्विस प्रोवाइडर कंपनियों के पास 2.5 मेगाहर्ट्ज से अधिक स्पेक्ट्रम हैं, उनसे लाइसेंस की बाकी अवधि के लिए फीस ली जाएगी। वित्त मंत्री के मुताबिक, सीडीएमए कंपनियों के लिए टेलिकॉम डिपार्टमेंट स्पेक्ट्रम की कीमत का पैमाना तैयार करेगा। ऐसा इसलिए है क्योंकि अब तक सीडीएमए स्पेक्ट्रम नीलामी के लिए कोई कंपनी बोली लगाने सामने नहीं आई है।
|