नई दिल्ली। ‘राष्ट्रीय सुरक्षा की प्रथम पंक्ति’ के रूप में भारत-पाक और भारत-बांग्लादेश सीमाओं की सुरक्षा का वृहत्तर दायित्व संभालने वाले ‘विश्व के सबसे बड़े सीमा सुरक्षा बल’, सीमा
सुरक्षा बल के कर्त्तव्य परायण एवं निष्ठावान सदस्यों को विभिन्न कर्तव्यों के दौरान उनके द्वारा प्रदर्शित अनुपम साहस और शौर्य के साथ ही उनकी विशिष्ट एवं सराहनीय सेवाओं के सम्मान में, भारत के राष्ट्रपति द्वारा ‘गणतंत्र दिवस-2025’ के अवसर पर सीमा सुरक्षा बल के अधिकारियों व कार्मिकों को 56 पदकों द्वारा सम्मानित किया गया। इन पदकों में 05 वीरता पदक (01 मरणोपरांत और 4 सेवारत), 05 विशिष्ट सेवा के लिए राष्ट्रपति पदक और 46 सराहनीय सेवा के लिए पदक शामिल हैं।




वीरता के लिए पदक (मरणोपरांत)
दृष्टांत1. मुख्य आरक्षक गिरिजेश कुमार उद्दे, 145 बटालियन सीमा सुरक्षा बल – 19 अगस्त 2022 को मुख्य आरक्षक गिरजेश कुमार उद्दे, त्रिपुरा के अति संवेदनशील इलाके में
स्थित सीमा चौकी ‘सीमना II’ के इलाके के निगरानी के लिए निकली गश्त पार्टी के स्काउट का कार्य कर रहे थे। जब उनकी पार्टी सीमा चौकी सीमना II से अगले स्टैंडिंग पेट्रोल बेस की तरफ बढ़ रही थी तभी पार्टी उग्रवादियों की भयंकर गोली-बारी की चपेट में आ गई। कई गोलियां गिरजेश को लगीं और वे गंभीर रूप से घायल हो गए। बावजूद इसके, उन्होंने सामरिक कौशल अपनाया और उग्रवादियों को लक्ष्य कर जवाबी कार्रवाई जारी रखी। उनकी इस जवाबी कार्रवाई से उग्रवादियों को विशेष क्षति पहुंची। इससे उन्होंने गिरजेश को एक बार फिर लक्षित किया और उनपर भयंकर फायर खोला। इस हमले से गिरजेश की न सिर्फ राइफल क्षतिग्रस्त हुई बल्कि उनकी दाहिनी बांह और जांघ में घुसी गोलियों ने उनको मरणासन्न कर दिया और अंततोगत्वा बहादुरी से लड़ते हुए यह बहादुर सीमा प्रहरी वीरगति को प्राप्त हुआ।मुख्य आरक्षक गिरजेश की इस स्तुत्य वीरता और उच्च कोटि के रणकौशल ने न सिर्फ उग्रवादियों के इरादों पर पानी फेरा, बल्कि अपने साथियों की जीवन-रक्षा में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इसबलिदानी सीमा प्रहरी की वीरता और साहस से अभिभूत राष्ट्र ने इस बहादुर सीमा प्रहरी को
मरणोपरांत ‘वीरता के लिए पदक’ से सम्मानित किया है।
‘वीरता के लिए पदक’ (सेवा के दौरान)
दृष्टांत 2. निरीक्षक (जीडी) जीतू देवरी, 61 बटालियन, आरक्षक (जीडी) रतन कुमार योगी,75 बटालियन और आरक्षक (जीडी) अवधेश कुमार यादव, 123 बटालियन, संयुक्त राष्ट्र मिशन, कांगो (आईएनडीएफपीयू-2) 61 बटालियन बीएसएफ के इंस्पेक्टर जीतू देवरी, 75 बटालियन बीएसएफ के कांस्टेबल रतन कुमार योगी और 123 बटालियन बीएसएफ के कांस्टेबल अवधेश कुमार यादव डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ़ कांगो (डीआरसी) के सीओबी बुटेम्बो में तैनात इंडियन फोर्मेड पुलिस यूनिट – II (INDFPU-2) MONUSCO के अधीन 15वें रोटेशन का हिस्सा थे। INDFPU-2 की उनकी प्लाटून को संयुक्त राष्ट्र प्रतिष्ठानों और कर्मियों की सुरक्षा संभालने के लिए बुटेम्बो भेजा गया था।
26 जुलाई 2022 को, 500 से अधिक प्रदर्शनकारियों की एक हिंसक भीड़ ने सीओबी बुटेम्बो को घेर लिया और पत्थरों और मोलोटोव कॉकटेल (पेट्रोल बम) से सीओबी बुटेम्बो पर हमला कर दिया। INDFPU के सदस्यों के जीवन पर खतरे को भांपते हुए इंस्पेक्टर जीतू देवरी ने परिसर में घुसपैठ करने वाले विद्रोहियों की गोलीबारी का समाना करते हुए एक पॉइंट से दूसरे सुरक्षा पॉइंट पर जाकर अपने सैनिकों को तैनात किया। बाद में उन्हें 38 निहत्थे संयुक्त राष्ट्र कर्मियों को सीओबी से बुटेम्बो हवाई अड्डे तक निकालने का काम सौंपा गया जिन्हें आगे बेनी तक एयरलिफ्ट करना था ।
इंस्पेक्टर जीतू देवरी ने निहत्थे संयुक्त राष्ट्र कर्मियों को निकालने के लिए तीन बख्तरबंद वाहनों में दो टीम (क्यूआरटी) बनाई। 8 किमी लंबी यात्रा के दौरान कई सड़क अवरोधों को पार करते हुए और छोटे हथियारों की भारी गोलीबारी के साथ-साथ टीम पर मोलोटोव कॉकटेल का सामना करते हुए,इंस्पेक्टर जीतू देवरी की पार्टी ने संयुक्त राष्ट्र कर्मियों को सफलतापूर्वक निकाला।
75 बटालियन बीएसएफ के कांस्टेबल रतन कुमार योगी और 123 बटालियन बीएसएफ के कांस्टेबल अवधेश कुमार यादव निकासी टीम में अग्रणी थे। इन दोनों ने संयुक्त राष्ट्र के अधिकारियों की जान बचाने और बुटेम्बो हवाई अड्डे तक उनको पहुंचाने में, अपनी व्यक्तिगत सुरक्षा की परवाह किए बिना अनुकरणीय साहस और कर्तव्य के प्रति समर्पित प्रदर्शन किया।
विद्रोहियों की गोलीबारी का मुकाबला करने, संयुक्त राष्ट्र के अधिकारियों की जान बचाने और उनकी निकासी को सुविधाजनक बनाने में बल कार्मिकों की कार्रवाई, दृढ़ संकल्प, साहस और बहादुरी के लिए, इन तीनों कर्मियों को वीरता पदक (जीएम) से सम्मानित किया गया है।
दृष्टांत 3. कांस्टेबल (जीडी) भागीरथ सिंह राठौड़-120 बटालियन बीएसएफ कांस्टेबल भागीरथ सिंह राठौड़ जम्मू क्षेत्र में अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर सीमा चौकी विक्रम पर तैनात थे। 26 अक्टूबर 2023 को उनकी तैनाती फॉरवर्ड डिफ़ेन्डेड पोस्ट पर रात्रि ड्यूटी के लिए थी। जब वह अपने ड्यूटी प्वाइंट पर जा रहे थे, तब सीमा पार से 82 मिलीमीटर मोर्टार और आटोमेटिक
हथियारों से अकारण गोलीबारी शुरू हो गयी। कांस्टेबल भागीरथ ने तुरंत कवर लिया और जवाबी कार्रवाई की। डेढ़ घंटे बाद बीओपी विक्रम की क्यू आर टी ने उन्हें निकाला।
कांस्टेबल भागीरथ को बीओपी विक्रम में लौटने का निर्देश दिया गया, लेकिन उन्होंने बीओपी विक्रम के बजाय फॉरवर्ड डिफ़ेन्डेड पोस्ट में अपने ड्यूटी स्थान पर ही रहने का अनुरोध किया। ड्यूटी प्वाइंट पर पहुंचने के बाद उन्होंने एलएमजी से पाक की ओर जवाबी गोलीबारी शुरू कर दी। दुर्भाग्य से, उक्त एलएमजी ने कुछ तकनीकी खराबी के कारण फायरिंग बंद कर दी। पाक पोस्ट इकबाल शहीद पर हावी होने के लिए कांस्टेबल भागीरथ खुले में आ गए और अपनी जान की परवाह किए बिना भारी गोलाबारी के बीच अपने 51 मिमी मोर्टार से गोले दागे। कांस्टेबल भागीरथ सिंह राठौड़ की वीरतापूर्ण कार्रवाई और सटीक फायरिंग के कारण दुश्मन को गोलीबारी रोकने पर मजबूर होना पड़ा।
पाकिस्तान की ओर से भारी गोलीबारी के बीच सूझबूझ, बहादुरी, कुशलता और अदम्य साहसदर्शाने वाले 120 बटालियन बीएसएफ के कांस्टेबल भागीरथ सिंह राठौड़ को ‘वीरता पदक’ (जीएम) से सम्मानित किया गया।
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