दिल्ली मेट्रो ने एक बयान में कहा है कि दिल्ली मेट्रो प्रबंधन ने इन रिपोर्टों को गंभीरता से लिया है और साइबर अपराध शाखा में एफआईआर दर्ज कराई है। सीआईएसएफ के प्रवक्ता हेमेंद्र सिंह का कहना है कि सीसीटीवी फुटेज का नियंत्रण मेट्रो के पास ही है। उन्होंने कहा कि अपलोड की गई वीडियो क्लिप को देखकर ऐसा लगता है कि इन्हें मोबाइल द्वारा शूट किया गया है। इस प्रकरण पर महिला आयोग ने दिल्ली मेट्रो से दो हफ्ते में एक्शन टेकन रिपोर्ट (एटीआर) देने को कहा है।
महिला आयोग की एक अधिकारी ने कहा कि इस मामले को संज्ञान में लिया गया है। यह बेहद चैंकाने वाला मामला है। तकनीक का इस्तेमाल राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए होना चाहिए। लेकिन इसका इस्तेमाल महिलाओं की निजता पर प्रहार करने में हो रहा है। यह महिलाओं को मेट्रो में सफर करने से रोकेगा। उन्होंने कहा कि इस मामले में सच जल्दी बाहर निकल कर आना चाहिए। दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।
बता दें कि एक साल पहले भी मेट्रो स्टेशन पर खुदकुशी मामले के बाद उस घटना की सीसीटीवी कैमरा फुटैज लीक हो गई थी। उस दौरान वीडियो लीक होने पर हंगामा हुआ था, लेकिन बाद में यह कहकर मामले में लीपापोती कर दी गई थी कि डीएमआरसी ने घटना का वीडियो पुलिस को दिया था। वहीं से ये वीडियो लीक हुआ। मेट्रो के जनसंपर्क विभाग के कार्यकारी निदेशक अनुज दयाल ने सीआईएसएफ पर आरोप मढ़ते हुए कहा कि मेट्रो में लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज की जांच एजेंसी करती है। ऐसे में इस एमएमएस प्रकरण के लिए मेट्रो को दोषी नहीं ठहराया जा सकता।