22/11/2012 कसाब मामले में कानून का पालन-अमेरिका
आतंकवादी हमले के एकमात्र जीवित बचे आतंकवादी अजमल आमिर कसाब के मामले में कानूनी प्रक्रिया के तहत पूर्ण रूप से पारदर्शी तरीके से सुनवाई हुई। अमेरिका ने कहा कि वह चाहता है कि 26 नवम्बर 2008 को हुए मुंबई आतंकवादी हमले के गुनहगार आतंकवादियों को न्याय के कटघरे में लाया जाए। अमेरिका के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता मार्क टोनर ने कहा कि हमने पहले भी कहा है कि हम मुंबई हमला मामले में न्याय के लिए उठाये गए कदमों का स्वागत करते हैं। हमने पहले भी कई बार कहा है कि हम चाहते हैं कि इसके पीछे जो भी आतंकवादी हैं उन्हें हम न्याय के कटघरे में देखना चाहते हैं।
उन्होंने एक प्रश्न के उत्तर में कहा कि मेरा मानना है कि उसके मामले में तय प्रक्रिया के तहत पूर्ण रूप से पारदर्शी तरीके से सुनवाई हुई और सजा दी गई। �द वॉशिंगटन पोस्ट� ने भी इस फांसी को गोपनीय ढंग से अंजाम देने के लिए भारत सरकार की प्रशंसा की है। समाचार पत्र ने लिखा है, 'ऐसे देश में जहां कुछ ही चीजें गोपनीय रहती हैं, जहां सभी चीजों पर सार्वजनिक बहस होती है, जहां अदालतें सुनवाई पूरी करने में दशकों का समय लेती हैं वहां कसाब की इतनी जल्दी फांसी कई लोगों को हैरान करने वाली है।' 25 वर्षीय कसाब को बुधवार को पुणे के यरवदा केंद्रीय जेल में सुबह साढ़े सात बजे फांसी दे दी गई।
|